आज बात करेंगे माइग्रेन के बारे में। अब ये नॉर्मल सिरदर्द से कैसे अलग है और इसका क्या इलाज दूसरा सेगमेंट है? तन की बात आपको पता है हमें? जो हमारे रोंगटे हैं वो क्यों खड़े हो जाते हैं? और तीसरा सेगमेंट खुराक यानी झकासली। जानिए अदरक का कमाल।
माइग्रेन को पहचाने कैसे?
अब माइग्रेन के बारे में हमने बहुत सुना है। हमें ये पता है कि इसमें सिर्फ दर्द होता है पर कई लोगों में ये दर्द बर्दाश्त के बाहर हो जाता है। अब माइग्रेन से जुड़ी जानकारी आए हैं तो आपका होम सराको पर। आपको कैसे पता चलेगा कि आपको सिर्फ सिरदर्द हो रहा है या फिर माइग्रेन का अटैक पड़ रहा है और सबसे जरूरी इसका इलाज बेसिक्ली एक सिरदर्द का प्रकार है, जिसकी इंटेंसिटी वेरिएबल होती है
अलग अलग होती है यानी की एक जाम आम भाषा में बात करे तो एक तेज सर दर्द जो की अनबेरबल होता है, कंट्रोल नहीं हो पाता है जिसमे की साथ में बहुत सारे सिम्पटम्स आते है। उसे हम बोलते है माइग्रेन तो बेसिक्ली हम माइग्रेन को पहचाने कैसे? ज्यादातर केस में जो माइग्रेन होता है वो हम कहते है की आधा सी सी कहते है यानी सिर के एक पार्ट में होता है।
चाहे दाई या बाई लेकिन जरूरी नहीं है। हर बार ऐसा हो कई बार ये केवल आँखों के जहा पर हो सकता है।कई बार कान की तरफ हो सकता है, पीछे की तरफ हो सकता है। सिर्फ ही ऊपर नहीं हो सकता है। दर्द किस तरीके का होता है इसमें इसमें हम बात करते हैं। यानी कि जो दर्द होता है वो अंदर से ऐसे हम पैटर्न झप झपकी आवाज है। जो भी आप कहना चाहे तो ऐसा लगता है जैसे पल्स चल रही है। नशे बहुत तेज़ी तेजी से फड़क रही है या बहुत बहुत आपको मोटी मोटी नसर दिखाई देती है। साथ में इसमें क्या होता है?की आपकी आँखों के आगे झील ओपेन होता है,
उल्टी का मन करता है, उल्टियां होती है, कान में सेंसिटिविटी बढ़ जाती है, आपको अजीब सी बेचे नहीं होने लगती है, घबराहट होने लगती है और दर्द बर्दाश्त नहीं होता तो ये सिम्पटम्स का लक्षण है जिससे आप पहचान सकते हो की माइग्रेन क्या होता है? अब माइग्रेन क्यों होता है? दोस्तों ज्यादातर ऐसा कार कहा जाता है। ये स्टडीज़ कहती है की ये सम्मेलन होता है यानी अगर एक परिवार में किसी को है माँ को है तो उसकी बच्चो को होने का या अंकल मैं मुँह में से किसी को है तो होने का चान्सेस होता है।
ट्रिग्गर होने के कई कारण है सबसे पहला कारण है बहुत तेज आवाज है जिसे कहते है लाउड वाइज लाउड स्पीकर की आवाज, सेकंड ऑफ़ दी फास्ट एंड फ्लिकेरिंग लाइट तेज रौशनी जैसे की डी जे की शादी में जो होती है डी जे की रौशनी होती है। परफ्यूम्स बहुत तेज स्मेल होना बहुत बार भूखा रहना एक्सेसिक ब्लू लाइट यानी की टी वि मोबाइल को लम्बी टाइम देखना,
देर रात जागना खाना नहीं खाना सुबह से दोस्तों बहुत बार ये जो पेइन होता, उस समय के लिए होता है, घंटे के लिए होता है, कहीं दिन तक भी चल सकता है। इसका उपचार जरूरी है क्योंकि अगर मल्टीप्ल वैज्ञानिक के जो अटैक्स होते हैं जल्दी भी वो आपके लाइफ को हैपर कर सकता है और उसका आसान बहुत इजीली अवेलेबल है।
सिर दर्द और माइग्रेन का फर्क कैसे किया जाए
अब चले जानते हैं कि सिर दर्द और माइग्रेन का फर्क कैसे किया जाए और इसका इलाज क्या है?में इंसान को संदर्भ होता है और हमारे लिए जानना बहुत जरूरी है कि माइग्रेन का दर्द बाकी दूसरे प्रकार के सर्द से किस तरह अलग है? क्योंकि माइग्रेन की डायग्नोसिस सिर्फ लक्षणों के आधार पर की जाती है।
इस बिमारी में सीटी स्कैन या एम आर आई नॉर्मल आता है। माइग्रेन के इलाज में दो चीजों का विशेष महत्त्व रहता है। पहला दवाई गोली और दूसरा उसकी रोकथाम। पहले मैं रोकथाम के बारे में बताना चाहूंगा।
इसकी रोकथाम के लिए इंसान को हेल्ती लाइफ स्टाइल का पालन करना चाहिए, जैसे खाना, पीना, टाइम से खाना चाहिए, किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए, ना तेज धूप में यदि जाना ही हो तो गॉगल कैंप या अंग्रेजा इनका इस्तेमाल करना चाहिए और कुछ ना कुछ फिजिकल अक्टिविटी करना चाहिए जैसे योग, प्राणायाम, एक्सर्साइज़ ये करना चाहिए। दूसरा जहाँ तक इलाज की बात है,
माइग्रेन के इलाज में दो प्रकार की स्ट्रेटेजी रहती है। डॉक्टर्स की एक तो धरनिवारक बोलियाँ वो तब दी जाती है जब इंसान को सरदर्द हो और दूसरी प्रकार की गोलियां जिनको प्रोफाइल अक्टिव ड्रग्स कहा जाता है वो दवाइयाँ देने से इंसान को दर्द निवारक ऊँगली खाने की जरूरत कम से कम पड़ती है।
Headache Migraine से छुटकारा के उपाए
तो अगर आप माइग्रेन से बचना चाहते हैं तो इन ट्रिगर्स का ध्यान रखना भी आपके लिए बेहद जरूरी है। जब भी हम माइग्रेन की बात करते हैं तो उसका डायग्नोसिस करना उतना ही इम्पोर्टेन्ट होता है जितना की उसके लक्षण और कारणों का इलाज करना।माइग्रेन का डायग्नोसिस मुख्य रूप से क्लिनिकल सिम्पटम्स और मेडिकल हिस्टरी पर आधारित होता है।
इंटरनेशनल हेडेख सोसाइटी ने कुछ क्राइटीरिया निर्धारित किए हुए हैं जिनके ऊपर बेस करके डॉक्टर्स आम तौर पे माइग्रेन को डायग्नोज़ करते हैं।इसमें हेडेक की प्रकृति ड्यूरेशॅन और साथ में होने वाले सिम्पटम्स को देखा जाता है। इसलिए यदि आपको लगता है कि माइग्रेन से आप पीड़ित हैं। ये दिक्कतें आपको आ रही हैं तो एक किसी अच्छे डॉक्टर से कंसल्ट करना सबसे पहले आपके लिए जरूरी है ताकि सही डायग्नोसिस आपकी बन सके।
माइग्रेन से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय
स्ट्रेस मनेजमेंट स्ट्रेस माइग्रेन का एक बड़ा ट्रिग्गर होता है तो इसका मनेजमेंट करना बहुत ही जरूरी है। आप योगा, मेडिटेशन या फिर डीप ब्रीथिंग एक्सर्साइज़ करके अपने स्ट्रेस को मैनेज कर सकते हैं। कम कर सकते हैं।ये टेक्निक आपके दिमाग को शांत करती हैं और स्ट्रेस लेवल्स को कम करती हैं।
दूसरी चीज़ बहुत ही इम्पोर्टेन्ट जो आपको करनी हैं दोस्तों वो हैं रेगुलर स्लीप पैटर्न को मेंटेन करना। ये एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट स्टेप हैं दोस्तों क्योंकि नींद की कमी भी माइग्रेन को ट्रिग्गर कर सकती हैं। हर रात लगभग 7-8 घंटे की अच्छी वाली नींद लेना आपके लिए बहुत इम्पोर्टेन्ट हैं। और हाँ, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी बिलकुल ना बोले क्योंकि डिहाइड्रेशन भी माइग्रेन के अटैक को बढ़ा सकता हैं।पानी की कमी से भी ऐसा हो सकता है।
अब आते हैं डाइट पर कुछ फुड्स ऐसे हैं दोस्तों जो माइग्रेन को ट्रिग्गर कर सकते हैं जैसे कि चीज़, रेड वाइन, प्रोसेस्ड फुड्स और कुछ प्रकार के प्रजर्वेटिव। इनका सेवन आपको कम करना चाहिए या बिल्कुल अवॉइड करना चाहिए ताकि आपको ये दिक्कत ना आए। एक बैलेंस डिडाइट का पालन करना भी बहुत जरूरी है। फ्रेश फ्रूट्स, वेजिटेबल्स, होल ग्रेन्स और लेन प्रोटीन आपके शरीर को जरूरी पोषण देते हैं और माइग्रेन के अटैक को कम करने में भी मददगार साबित हो सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार माइग्रेन में तीन दोष वात, पित और कफ का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल होता है। वात दोष के इम्बैलेंस से ड्राईनेस और इन्स्टेबिलिटी आती है। पित्त दोष के इम्बैलेंस से तेज और गर्मी बॉडी में बढ़ जाती है और कफ दोष की बढ़ने से हेवीनेस और प्लग्गेस्नेस मॉडी में आती है। सुस्ती आ जाती है काहिली आ जाती है ये सभी फॅक्टर्स मिलके।माइग्रेन के सिम्पटम्स को ट्रिगर कर सकते हैं।
इसके अलावा आयुर्वेद में अमा यानी के शरीर में जो जमा टॉक्सिन होते हैं, ये भी माइग्रेन को ट्रिग्गर करने के लिए बहुत ही इम्पोर्टेन्ट बताए जाते हैं। इनको साफ करना बड़ा जरुरी होता है। जब दोस्तों हमारा पाचन तंत्र अच्छी तरीके से काम नहीं करता है तो ये अम्मा यानी जो टॉक्सिन है, ये बॉडी में जमा होने लगते हैं और इन्फ्लमशन और पेन का कारण बनते हैं। आयुर्वेद में कुछ हब्स ऐसी हैंजो की माइग्रेन में बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। जैसे की ब्राहमी जो की दिमाग को शांत करता है और कॉग्नेटिव फंक्शन को इम्प्रूव करता है। अशोकनधा भी एक ऐसी ही हर्व है जो की स्ट्रेस को कम करती है और बॉडी को रिलैक्स करने का काम करती है।
घरेलु उपचार के रूप में आप अदरक और तुलसी भी ले सकते है जो की इन्फ्लमशन को कम करने में और डाइजेशन को इम्प्रूव करने में मददगार होता है। इसके अलावा घी यानी देसी घी गाय का और बादाम भी दिमाग को पोषण देते है और माइग्रेन के सिम्पटम्स को कम करने में मदद करते है।
और लास्ट में आयुर्वेद में पंचकर्म थेरेपी भी माइग्रेन के इलाज के लिए काफी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट बताई जाती है। इसके बहुत ज्यादा अच्छा रिसाल्ट मिलता है। ये एक डिटॉक्सिफिकेशन प्रोसेसर है, जो शरीर में जमा अम्मा को यानी टॉक्सिन को बाहर निकालता है और हमारे जो दोष आज होते हैं, उनको बैलेंस में रखता है। पंचकर्म ट्रीटमेंट्स में शिरोधारा, नस्य चिकित्सा और अभ्यंग जैसे थेरेपीस शामिल होते हैं, जो कि माइग्रेन की रोकथाम में काफी ज्यादा हेल्पफुल होते हैं।तो ये थे दोस्तों, कुछ आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू नुस्खे जो आप माइग्रेन से रिलीफ पाने के लिए आजमा सकते हैं।